परमेश्वर कापडी
ई दुनू ने सासु-पुतौह छथि आ ने मतारि-बेटी! ई ‘चरित्र’मे अप्पन सुहबे, सुनरा अविनाश झा आ हुनक नवकनिञा अइ ! सुनिष्ट ब्राह्मण कुलक अविनाश झा आ सोझिया सोझमतिया काल-कमौया भूंइयांपूजक बंसी मुसहरनी, हुनक नवकनिञा। कलकतियाबाली!
हालहिमे ई दुनू परिणय सूत्रमे बन्हएलाह अछि आ एगो भलमन कलामनक एहि रंग-कर्म सिद्ध लोक कलाकारक बैवाहिक बन्धन अति आदर्श आ उत्प्रेरक नेत-निष्ठा आ प्रेम-प्रतिष्ठास’ समाजिक सौहार्दक अलबेला छहरखेलाक छमरछैंया शुभारम्भ अछि।
ऐ दुलरुवा, भविष्णु बौआ अविनाशके हम नां बिछैत कहलिऐन्ह– मुसहरु बाबु ! मुसहरु अविनाश।
अपूर्व उत्प्रेरक नैसर्गिक रंग-कला ऊर्जा आवेगक एहि विशिष्ट प्रतिभापर मैथिलीक अशियासल आगत, हिलसगर मन, लाल्हि मारैत, लहालोट एहि दुआरे अछि जे ई स्वयंमे एगो भरोसगर संस्था अछि ततबे नहि, ईसब लोक रंगकलाक, लोक संस्कृतिक वर्तमान सन्दर्भ ओ समाजिक परिप्रेक्ष्यमे अपन भूमिकाके अहम् आ विशिष्ट बनबैत, मनोरंजक ढंगस’ आगू बढि रहल छथि।
बहुत ऊर्जा आवेग, सही सिद्ध साधना ओ शाश्त्रीय अनुशासनके संगहि स्वास्थ्य पृष्ठपोषणक अभावमे एकरा बहक’, भटक’ आ भुतलाएके अदक अन्देशास’ निचैन निश्चिन्त नहि रहल जा सकैछ।
तब, आब आवश्यकताके संगहि अनिवार्य छै जे सरकार, सम्बन्धित पक्ष ओ निकायक संगहि सुधिजन, गुणीगण, रंग-कला संसार एकरा प्रति साकांक्ष, दरेगी आ पृष्ठपोषक बनि, सुयशी संरक्षकक स्वामित्व ग्रहण करबे करए !
श्रोत : समाजिक सञ्जाल

२०८१ फाल्गुन १४, बुधबार ११:४८मा प्रकाशित

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