जन्मलैत जे हमरा पोशलक
दुध पियाक राइत भईर जागलक
आराम अप्पन केलक बर्बाद
पुरादीन हमरे स्याहार करके काज
आश लगेने हम बढव कहिया
माँ के बोलिमे हरदम कहिया

करट फेरैत , गुडकअ लगलौं
निहारैत हमर ठेहुन करिया
आश लगेने हम बढव कहिया ,
संगी सँग खेलैत झगडैत जँ दिन हमर बितैय
अल्ल्हर ढंग देखि हमर , इहा बात माँ कहैय
बौव्वा पढ जायब कहिया
माँ के बोलिमे हरदम कहिया

पईढ लिख क घर जँ बैसलौं
आँइखमे माँ के प्रश्न नुकायल देखलौं
बौव्वा, आब नोकरी करब कहिया
काम काज करी घर जे अयलौं
थाकल मन मुदा जोश देखेलौं
घुमाफिराक माँ के मंगैत देखलौं
बौव्वा , बिवाह करब कहिया
माँ के बोलिमे हरदम कहिया

बिवाह करैत माँ आनन्दित भेल
सोचलौं माँ के आश पूइरगेल
अपन बुढापा देखबैइत हमरा
पुछ्लागली पोतापोती खेलायब कहिया
माँ के बोलि मे हरदम कहिया

काज करलेल दुर देश जे गेलौं
कनिया , बच्चा सब व्यस्त जँ भेलौं
हप्ता , महिना बीतल समय देखैय
माँ फोन करैत इहे पुछैय
बौव्वा तु घर अयबा कहिया
माँ के बोलि मे हरदम कहिया ||

जय माता जानकी जी , जय मिथिला
रचियता : ज्योति कुमारी झा ( समाजशास्त्री )

२०७७ माघ ७, बुधबार १९:४६मा प्रकाशित

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